पाकिस्तान और पाकिस्तानीयत से बेइंतहा नफरत के बावजूद मैं ना तो अपने देश के मुसलमान भाइयों से शिकवा रखता हूँ और ना ही इस्लाम से। यही बात उन भटके हुए अपने हिन्दू भाइयों के लिए भी है। निजी जिंदगी में बेहद ईमानदार, मिलनसार और दयालू हिंदुओं को जानता हूँ जिनको बरगलाया गया। ये कौमी ज़हर बोया गया। उनके घरवालों ने उस्तादों ने किसी ने मौका ही नही दिया। जब कभी उनके दिल ने नफरत से ऊब कर सवाल पूछा तो पीट कर, बेइज़्ज़त कर उनको इस जहर को ही अपनी शिनाख्त बनाने को मजबूर किया गया। उस चड्ढी ब्रिगेड से बेइंतेहा नफरत का कारण यह भी है। जो लोग खुद की ज़िंदगी मे कभी ऐसी निर्दयता नही करेंगे, कभी ऐसी डकैती नही करेंगे वो भी अजनबियों के खौफ में ऐसे कुकर्मो का समर्थन करते हैं।
जब उसने चमत्कार बताया, तुमने अनुसंधान किया। जब उसने गरीबी को परवरदिगार की मर्जी बताया, तुमने इनकार किया। जब उसने तुम्हारे शोषण को अपना नैसर्गिक हक़ बताया, तुमने बगावत की। जब उसने धर्म के आधार पर हिंसा की, दुश्मन बनाये और राष्ट्र मांगा, तुमने विरोध किया, बगावत की, तोहमत झेली। तब आज क्यों हताश हो। झूठ का अंधकार चाहे लाखों योजन फैला हो, सच का दिया फिर भी उससे जूझता है। इसलिए नही की उसे झूठ को हराना है। बल्कि इसलिए, क्योंकि यही उसका धर्म है।