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Showing posts from February, 2019
भारतीय मीडिया के गवारपन के बाद अब एक बेहद ज़रूरी सवाल। ये पाकिस्तानी जाहाज घुस कैसे गया? इस पर serious deliberation होना चाहिए। हमने ये सौ सौ ठो satellite दिखावन वास्ते छोड़े थे। मैं फ़र्ज़ी ISRO और DRDO को बड़ा सम्मान देता था। इनको बुला के चौराहे पर बेइज़्ज़त करना चाहिए। आंतरिक सुरक्षा का मज़ाक बना के बैठे है हरामखोर। पाकिस्तान की थल सेना battle hardened हो सकती है लेकिन उसकी वायु सेना तो बिल्कुल बेकार होनी चाहिए। उसके पास अपने satellite तक नही हैं, कोई credible geo location नही है, credible crypto-message भेजने की सुविधा नही है, मतलब आधुनिक सामरिक समझ के हिसाब से कुछ भी नही है। फिर भी वो दिन में दाखिल हुआ। और बाकायदा भाग भी गया, जब हमने पीछा किया तो हमारे युद्धक विमान पर हमला करके क्षतिग्रस्त कर दिया। अब जरा सोचिए कि अगर कोई पाकिस्तानी फिदायीन F-16 में बैठ के नौशेरा से घुस जाए अमृतसर की ओर। क्या हम रोक पाएंगे? ये मीडिया में चिल्गोज़र अपने अज्ञान के गीतों में छम्मा छम्मा कर ले लेकिन अब ये चिंता का विषय हो चला है। सामान्य तौर पर मैं युद्ध की पैरवी नही करता। लेकिन आज मैं डर गया हूँ। और वा
राहुल गांधी को बुद्धिजीवी इतना पसंद क्यों करते हैं? मेरी समझ से इसलिए क्योंकि राहुल एक संजीदा इंसान हैं। वे हवा में नही बोलते। और जिस बात का पता ना हो वहां लोगों से पूछते हैं। जैसे जब उन्होंने न्यूनतम आय की योजना का वादा किया तो उससे पहले एक टीम बनाई, प्रख्यात अर्थशास्त्री और निबेल पुरस्कार विजेता अंगुस देयतों के नेतृत्व में। उसमे चिदंबरम भी शामिल थे। इस टीम ने बाकायदा योजना बनाई और उसकी राहुलजी ने घोषणा की। इसी तरह रोज़गार के लिए वे महेश व्यास के पास गए। अब राष्ट्रीय सुरक्षा की नीति के लिए Surgical strike fame Rtd. Gen DS Hooda उनका मार्गदर्शन करेंगे। ये बताता है कि राहुल एक समझदार व्यक्ति है। दूसरे नेताओं की तरह नही, की रैली देखी तो करने लगे बड़ बड़। और फिर जब जग हसाई और सवाल हो तो देश द्रोह, गद्दार वगैरह नौटंकी करे।
जब भी मैं महफ़िल में कहता हूँ कि एक पार्टी को पिछले साल 22000 करोड़ चंदे में मिले, सबको पता होता है कि वो पार्टी कौन है। जब भी मैं किसी महफ़िल में कहता हूँ कि एक पार्टी ने विदेशी घूस को कानूनी बनाने का देशद्रोही काम किया, सबको पता होता है कि किसने किया है।  लेकिन वोट? वोट तो उसको देना है जो हमको मुसलमानों से बचाएगा। ये क्या बताता है? इसका मतलब की ऐसा नही है कि लोग जानते नही की क्या हो रहा है। लेकिन उनको खौफ की पट्टी पढ़ाई गयी है। और इस खौफ ने उनके दिल मे घृणा भर दी है। मैं वाक़ई सोचा करता था कि इतने पढ़े लिखे थे जर्मन, फिर ये मूर्खता कहां से घोल लिए? लेकिन मैं तो सामने देख रहा हूँ कैसे पढ़े लिखे, संभ्रांत और दयालू और ईमानदार लोग को पट्टी पढ़ा दी गयी और उन्होंने पढ़ ली।
मेरे जैसों के लिए कांग्रेस के सिवा रास्ता ही क्या है? मैं उनके साथ तो नही जा सकता जो सभी ब्राह्मणों को गैस चैंबर में भर कर मार डालना चाहते हैं। जो मेरे अस्तित्व को मेरी जात पर तौल कर मुझे कलंकित करना चाहते हैं। हा मैं ब्राह्मण हूँ और फक्र है कि ब्राह्मण हूँ। लेकिन मैं उनके साथ भी नही हो सकता जो मेरे पूर्वजों की बौद्धिक विरासत को किनारे छोड़ पूरे हिन्दू धर्म को यूरोप के कुत्सित सम्प्रदायवादी ढांचे में घोल के विलीन कर देना चाहते हैं। मैं अंधविश्वास के समर्थकों का साथ कैसे दे सकता हूँ? मैं ये कैसे मान लू की जो दोस्त मुझे दिवाली दशहरे की आज भी बधाइयां देते हैं वो मेरे दुश्मन है सिर्फ इसलिए क्योंकि वे मुसलमान है? जो रेस्तरां में माँस नही खाते क्योंकि मैं बैठा हूँ, मैं उनको दुश्मन समझ लू जबकि मेरे किसी हिन्दू दोस्त ने मुझे ये रियायत नही दी? मेरे लिए भारत मे सिर्फ एक ही पार्टी में पनाह बची है। और इसीलिए, अब उसका साथ दे रहा हूँ। https://youtu.be/Kr3mu6DRo30
मेरे समझ नही आता कि क्या इस मुल्क में सबने पढ़ना लिखना बंद कर दिया है? आज भी अखबार में छपा है कि पाकिस्तानी फौज भारत के साथ जानबूझ के अमन नही चाहती ताकि उसकी प्रासिंगकता बनी रहे। धन्य हो गर्दभ बुद्धि! अरे मूर्खों पाकिस्तान की फौज पाकिस्तान के पूरे industrial complex को कंट्रोल करती है। पूरे supply chain कंट्रोल करती है। पाकिस्तान की आर्थिकी फौज के बिना चलती ही नही। अरे गधों इस मुगालते में क्यों बैठे हो कि पाकिस्तान की फौज भारत के खौफ पर ज़िंदा है? पाकिस्तानी फौज़ का major focus अफ़ग़ानिस्तान है। अपने पश्चिमी सूबे के तालिबानी मुल्ले है जिनको कत्ल करके हर मस्जिद में अपने मौलवी बैठाने हैं। इनके रिटायर्ड अफसर जा के सऊदी में भाड़े के फौजी बनते है और यमन में सऊदी की तरफ से युद्ध कर रहे है। इसी वजह से सऊदी पाकिस्तान पर मेहरबान है। जब तुमको समस्या का मूल ही नही पता तो हल क्या सुझा रहे हो? पाकिस्तानी फौज ने 1980s में खड़े किए फिदायीन। अमरीका के पैसे से अफ़ग़ानिस्तान में लड़ाने को। फिर उसने सोचा कि अगर हम अफ़ग़ानिस्तान में रूस को हरा सकते हैं तो कश्मीर में इन्ही जेहादियों से हिंदुस्तान को भी हरा देंग