Skip to main content

Posts

Showing posts from 2019
पाकिस्तान और पाकिस्तानीयत से बेइंतहा नफरत के बावजूद मैं ना तो अपने देश के मुसलमान भाइयों से शिकवा रखता हूँ और ना ही इस्लाम से। यही बात उन भटके हुए अपने हिन्दू भाइयों के लिए भी है। निजी जिंदगी में बेहद ईमानदार, मिलनसार और दयालू हिंदुओं को जानता हूँ जिनको बरगलाया गया। ये कौमी ज़हर बोया गया। उनके घरवालों ने उस्तादों ने किसी ने मौका ही नही दिया। जब कभी उनके दिल ने नफरत से ऊब कर सवाल पूछा तो पीट कर, बेइज़्ज़त कर उनको इस जहर को ही अपनी शिनाख्त बनाने को मजबूर किया गया। उस चड्ढी ब्रिगेड से बेइंतेहा नफरत का कारण यह भी है। जो लोग खुद की ज़िंदगी मे कभी ऐसी निर्दयता नही करेंगे, कभी ऐसी डकैती नही करेंगे वो भी अजनबियों के खौफ में ऐसे कुकर्मो का समर्थन करते हैं।
जब उसने चमत्कार बताया, तुमने अनुसंधान किया। जब उसने गरीबी को परवरदिगार की मर्जी बताया, तुमने इनकार किया। जब उसने तुम्हारे शोषण को अपना नैसर्गिक हक़ बताया, तुमने बगावत की। जब उसने धर्म के आधार पर हिंसा की, दुश्मन बनाये और राष्ट्र मांगा, तुमने विरोध किया, बगावत की, तोहमत झेली। तब आज क्यों हताश हो। झूठ का अंधकार चाहे लाखों योजन फैला हो, सच का दिया फिर भी उससे जूझता है। इसलिए नही की उसे झूठ को हराना है। बल्कि इसलिए, क्योंकि यही उसका धर्म है।
जब हृदय सम्राट के खिलाफ नही लिख सकता तो दीदी की चोरी और सीनाज़ोरी पर क्यों लिखू? नए भारत मे एक बात तो है। पहले के चोर लजाते थे, बहानेबाज़ी करते थे। नाम के लिए ही सही FIR कराते थे, जांच कराते थे। नए भारत का चोर सीनाजोर है। वो खुद को राष्ट्र एवं संस्कृति का रखवाला बताता है और जब जांच एजेंसी पहुंचती है तो उल्टे उन्ही को जेल डाल देता है। साफ झूठ बोलता है, दिन दहाड़े डाका डालता है। आवाज़ उठाने वाले को डराता है, धमकाता है, मार भी डालता है। फिर जब डर से सन्नाटा छा जाता है तो गर्दन मटका के पूछता है कि बताओ मेरे राज में चोरी बेईमानी सुनी तुमने? वाह नया भारत वाह!
"मेरे भाई तुम सिर्फ लडक़ी के शौहर बनकर क्यों सोचते हो? कभी लड़की के भाई या बाप बनकर भी सोच लो।" मौलाना तौकीर राज़ा की तीन तलाक़ पर ये बात, सिर्फ मुसलमानों के लिए ही नही हिन्दुओ के लिए भी है।लेकिन मैं एक कदम और जाऊंगा। सिर्फ भाई और बाप बनकर के ही क्यों कभी एक बार लड़की बनके भी सोच लो। तुमको बोलती स्त्री का खौफ़ इसीलिए भी है कि कहीं वो तुम्हारे साथ वही सुलूक ना करें जो तुमने आज तक उनके साथ किया है। अब ये सोचो की अपने ऊपर जिस सुलूक की कल्पना तक तुमको कँपा देती है, वही सुलूक रोज उसपर नाफ़िज़ करना तुम अपना ईश्वर प्रदत्त अधिकार समझते हो।
बिना देश के कोई देशभक्ति होती है क्या? नुकसान का हिसाब लगाना और गलती दोबारा ना दोहराया जाए इस पर भी जोर होना चाहिए।  पहले अच्छी खबर। अजेय समझे जाने वाले F-16 को भारत के मिराज 2000 ने मार गिराया। और हम ऐसा इसलिये कर पाए क्योंकि मिराज का हमने भारतीयकरण कर लिया है। इसका मतलब की विदेशी विमानों का भारत मे बनना बहुत जरूरी है। राफेल को इस लिहाज से भारत मे ही बनना चाहिए। मेरे विचार से मोदीजी को पुनर्विचार करना चाहिए और ये 36 विमानों वाली डील cancel कर के पुरानी मनमोहन सरकार वाली deal पर ही बात करनी चाहिए।  अब बुरी खबर। पिछले 15 दिनों में हमने 49 सिपाही, 5 सेना के आल्हा अफसर, 4 लड़ाकू पॉयलेट, और 2 लड़ाकू जहाज खो दिए। पाकिस्तानी जहाज़ दिन में घुस गया और उड़ता रहा हमारी सीमा में काफी देर तक। हमको जवाबी कार्यवाही करने में देर हुई है। अब इन सबके लिए कौन जिम्मेदार है? अजीत डोभाल देश की जनता के सामने जवाबदेह हैं। मुम्बई हमले के बाद गृहमंत्री ने इस्तीफा दिया था। इसके बाद NIA बनाई गई। CCTNS network शुरू करने की कवायद हुई। मनमोहन सरकार ने पहले अपने इदारे मज़बूत किये, लेकिन पाकिस्तान की जवाबदेही तय
भारतीय मीडिया के गवारपन के बाद अब एक बेहद ज़रूरी सवाल। ये पाकिस्तानी जाहाज घुस कैसे गया? इस पर serious deliberation होना चाहिए। हमने ये सौ सौ ठो satellite दिखावन वास्ते छोड़े थे। मैं फ़र्ज़ी ISRO और DRDO को बड़ा सम्मान देता था। इनको बुला के चौराहे पर बेइज़्ज़त करना चाहिए। आंतरिक सुरक्षा का मज़ाक बना के बैठे है हरामखोर। पाकिस्तान की थल सेना battle hardened हो सकती है लेकिन उसकी वायु सेना तो बिल्कुल बेकार होनी चाहिए। उसके पास अपने satellite तक नही हैं, कोई credible geo location नही है, credible crypto-message भेजने की सुविधा नही है, मतलब आधुनिक सामरिक समझ के हिसाब से कुछ भी नही है। फिर भी वो दिन में दाखिल हुआ। और बाकायदा भाग भी गया, जब हमने पीछा किया तो हमारे युद्धक विमान पर हमला करके क्षतिग्रस्त कर दिया। अब जरा सोचिए कि अगर कोई पाकिस्तानी फिदायीन F-16 में बैठ के नौशेरा से घुस जाए अमृतसर की ओर। क्या हम रोक पाएंगे? ये मीडिया में चिल्गोज़र अपने अज्ञान के गीतों में छम्मा छम्मा कर ले लेकिन अब ये चिंता का विषय हो चला है। सामान्य तौर पर मैं युद्ध की पैरवी नही करता। लेकिन आज मैं डर गया हूँ। और वा
राहुल गांधी को बुद्धिजीवी इतना पसंद क्यों करते हैं? मेरी समझ से इसलिए क्योंकि राहुल एक संजीदा इंसान हैं। वे हवा में नही बोलते। और जिस बात का पता ना हो वहां लोगों से पूछते हैं। जैसे जब उन्होंने न्यूनतम आय की योजना का वादा किया तो उससे पहले एक टीम बनाई, प्रख्यात अर्थशास्त्री और निबेल पुरस्कार विजेता अंगुस देयतों के नेतृत्व में। उसमे चिदंबरम भी शामिल थे। इस टीम ने बाकायदा योजना बनाई और उसकी राहुलजी ने घोषणा की। इसी तरह रोज़गार के लिए वे महेश व्यास के पास गए। अब राष्ट्रीय सुरक्षा की नीति के लिए Surgical strike fame Rtd. Gen DS Hooda उनका मार्गदर्शन करेंगे। ये बताता है कि राहुल एक समझदार व्यक्ति है। दूसरे नेताओं की तरह नही, की रैली देखी तो करने लगे बड़ बड़। और फिर जब जग हसाई और सवाल हो तो देश द्रोह, गद्दार वगैरह नौटंकी करे।
जब भी मैं महफ़िल में कहता हूँ कि एक पार्टी को पिछले साल 22000 करोड़ चंदे में मिले, सबको पता होता है कि वो पार्टी कौन है। जब भी मैं किसी महफ़िल में कहता हूँ कि एक पार्टी ने विदेशी घूस को कानूनी बनाने का देशद्रोही काम किया, सबको पता होता है कि किसने किया है।  लेकिन वोट? वोट तो उसको देना है जो हमको मुसलमानों से बचाएगा। ये क्या बताता है? इसका मतलब की ऐसा नही है कि लोग जानते नही की क्या हो रहा है। लेकिन उनको खौफ की पट्टी पढ़ाई गयी है। और इस खौफ ने उनके दिल मे घृणा भर दी है। मैं वाक़ई सोचा करता था कि इतने पढ़े लिखे थे जर्मन, फिर ये मूर्खता कहां से घोल लिए? लेकिन मैं तो सामने देख रहा हूँ कैसे पढ़े लिखे, संभ्रांत और दयालू और ईमानदार लोग को पट्टी पढ़ा दी गयी और उन्होंने पढ़ ली।
मेरे जैसों के लिए कांग्रेस के सिवा रास्ता ही क्या है? मैं उनके साथ तो नही जा सकता जो सभी ब्राह्मणों को गैस चैंबर में भर कर मार डालना चाहते हैं। जो मेरे अस्तित्व को मेरी जात पर तौल कर मुझे कलंकित करना चाहते हैं। हा मैं ब्राह्मण हूँ और फक्र है कि ब्राह्मण हूँ। लेकिन मैं उनके साथ भी नही हो सकता जो मेरे पूर्वजों की बौद्धिक विरासत को किनारे छोड़ पूरे हिन्दू धर्म को यूरोप के कुत्सित सम्प्रदायवादी ढांचे में घोल के विलीन कर देना चाहते हैं। मैं अंधविश्वास के समर्थकों का साथ कैसे दे सकता हूँ? मैं ये कैसे मान लू की जो दोस्त मुझे दिवाली दशहरे की आज भी बधाइयां देते हैं वो मेरे दुश्मन है सिर्फ इसलिए क्योंकि वे मुसलमान है? जो रेस्तरां में माँस नही खाते क्योंकि मैं बैठा हूँ, मैं उनको दुश्मन समझ लू जबकि मेरे किसी हिन्दू दोस्त ने मुझे ये रियायत नही दी? मेरे लिए भारत मे सिर्फ एक ही पार्टी में पनाह बची है। और इसीलिए, अब उसका साथ दे रहा हूँ। https://youtu.be/Kr3mu6DRo30
मेरे समझ नही आता कि क्या इस मुल्क में सबने पढ़ना लिखना बंद कर दिया है? आज भी अखबार में छपा है कि पाकिस्तानी फौज भारत के साथ जानबूझ के अमन नही चाहती ताकि उसकी प्रासिंगकता बनी रहे। धन्य हो गर्दभ बुद्धि! अरे मूर्खों पाकिस्तान की फौज पाकिस्तान के पूरे industrial complex को कंट्रोल करती है। पूरे supply chain कंट्रोल करती है। पाकिस्तान की आर्थिकी फौज के बिना चलती ही नही। अरे गधों इस मुगालते में क्यों बैठे हो कि पाकिस्तान की फौज भारत के खौफ पर ज़िंदा है? पाकिस्तानी फौज़ का major focus अफ़ग़ानिस्तान है। अपने पश्चिमी सूबे के तालिबानी मुल्ले है जिनको कत्ल करके हर मस्जिद में अपने मौलवी बैठाने हैं। इनके रिटायर्ड अफसर जा के सऊदी में भाड़े के फौजी बनते है और यमन में सऊदी की तरफ से युद्ध कर रहे है। इसी वजह से सऊदी पाकिस्तान पर मेहरबान है। जब तुमको समस्या का मूल ही नही पता तो हल क्या सुझा रहे हो? पाकिस्तानी फौज ने 1980s में खड़े किए फिदायीन। अमरीका के पैसे से अफ़ग़ानिस्तान में लड़ाने को। फिर उसने सोचा कि अगर हम अफ़ग़ानिस्तान में रूस को हरा सकते हैं तो कश्मीर में इन्ही जेहादियों से हिंदुस्तान को भी हरा देंग