जब उसने चमत्कार बताया, तुमने अनुसंधान किया।
जब उसने गरीबी को परवरदिगार की मर्जी बताया, तुमने इनकार किया।
जब उसने तुम्हारे शोषण को अपना नैसर्गिक हक़ बताया, तुमने बगावत की।
जब उसने धर्म के आधार पर हिंसा की, दुश्मन बनाये और राष्ट्र मांगा, तुमने विरोध किया, बगावत की, तोहमत झेली।
तब आज क्यों हताश हो।
झूठ का अंधकार चाहे लाखों योजन फैला हो, सच का दिया फिर भी उससे जूझता है। इसलिए नही की उसे झूठ को हराना है। बल्कि इसलिए, क्योंकि यही उसका धर्म है।
जब उसने गरीबी को परवरदिगार की मर्जी बताया, तुमने इनकार किया।
जब उसने तुम्हारे शोषण को अपना नैसर्गिक हक़ बताया, तुमने बगावत की।
जब उसने धर्म के आधार पर हिंसा की, दुश्मन बनाये और राष्ट्र मांगा, तुमने विरोध किया, बगावत की, तोहमत झेली।
तब आज क्यों हताश हो।
झूठ का अंधकार चाहे लाखों योजन फैला हो, सच का दिया फिर भी उससे जूझता है। इसलिए नही की उसे झूठ को हराना है। बल्कि इसलिए, क्योंकि यही उसका धर्म है।
Comments
Post a Comment