"मेरे भाई तुम सिर्फ लडक़ी के शौहर बनकर क्यों सोचते हो? कभी लड़की के भाई या बाप बनकर भी सोच लो।"
मौलाना तौकीर राज़ा की तीन तलाक़ पर ये बात, सिर्फ मुसलमानों के लिए ही नही हिन्दुओ के लिए भी है।लेकिन मैं एक कदम और जाऊंगा। सिर्फ भाई और बाप बनकर के ही क्यों कभी एक बार लड़की बनके भी सोच लो। तुमको बोलती स्त्री का खौफ़ इसीलिए भी है कि कहीं वो तुम्हारे साथ वही सुलूक ना करें जो तुमने आज तक उनके साथ किया है। अब ये सोचो की अपने ऊपर जिस सुलूक की कल्पना तक तुमको कँपा देती है, वही सुलूक रोज उसपर नाफ़िज़ करना तुम अपना ईश्वर प्रदत्त अधिकार समझते हो।
मौलाना तौकीर राज़ा की तीन तलाक़ पर ये बात, सिर्फ मुसलमानों के लिए ही नही हिन्दुओ के लिए भी है।लेकिन मैं एक कदम और जाऊंगा। सिर्फ भाई और बाप बनकर के ही क्यों कभी एक बार लड़की बनके भी सोच लो। तुमको बोलती स्त्री का खौफ़ इसीलिए भी है कि कहीं वो तुम्हारे साथ वही सुलूक ना करें जो तुमने आज तक उनके साथ किया है। अब ये सोचो की अपने ऊपर जिस सुलूक की कल्पना तक तुमको कँपा देती है, वही सुलूक रोज उसपर नाफ़िज़ करना तुम अपना ईश्वर प्रदत्त अधिकार समझते हो।
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