जब भी मैं महफ़िल में कहता हूँ कि एक पार्टी को पिछले साल 22000 करोड़ चंदे में मिले, सबको पता होता है कि वो पार्टी कौन है।
जब भी मैं किसी महफ़िल में कहता हूँ कि एक पार्टी ने विदेशी घूस को कानूनी बनाने का देशद्रोही काम किया, सबको पता होता है कि किसने किया है।
लेकिन वोट? वोट तो उसको देना है जो हमको मुसलमानों से बचाएगा। ये क्या बताता है?
इसका मतलब की ऐसा नही है कि लोग जानते नही की क्या हो रहा है। लेकिन उनको खौफ की पट्टी पढ़ाई गयी है। और इस खौफ ने उनके दिल मे घृणा भर दी है। मैं वाक़ई सोचा करता था कि इतने पढ़े लिखे थे जर्मन, फिर ये मूर्खता कहां से घोल लिए? लेकिन मैं तो सामने देख रहा हूँ कैसे पढ़े लिखे, संभ्रांत और दयालू और ईमानदार लोग को पट्टी पढ़ा दी गयी और उन्होंने पढ़ ली।
जब भी मैं किसी महफ़िल में कहता हूँ कि एक पार्टी ने विदेशी घूस को कानूनी बनाने का देशद्रोही काम किया, सबको पता होता है कि किसने किया है।
लेकिन वोट? वोट तो उसको देना है जो हमको मुसलमानों से बचाएगा। ये क्या बताता है?
इसका मतलब की ऐसा नही है कि लोग जानते नही की क्या हो रहा है। लेकिन उनको खौफ की पट्टी पढ़ाई गयी है। और इस खौफ ने उनके दिल मे घृणा भर दी है। मैं वाक़ई सोचा करता था कि इतने पढ़े लिखे थे जर्मन, फिर ये मूर्खता कहां से घोल लिए? लेकिन मैं तो सामने देख रहा हूँ कैसे पढ़े लिखे, संभ्रांत और दयालू और ईमानदार लोग को पट्टी पढ़ा दी गयी और उन्होंने पढ़ ली।
Comments
Post a Comment