मेरे समझ नही आता कि क्या इस मुल्क में सबने पढ़ना लिखना बंद कर दिया है? आज भी अखबार में छपा है कि पाकिस्तानी फौज भारत के साथ जानबूझ के अमन नही चाहती ताकि उसकी प्रासिंगकता बनी रहे।
धन्य हो गर्दभ बुद्धि!
अरे मूर्खों पाकिस्तान की फौज पाकिस्तान के पूरे industrial complex को कंट्रोल करती है। पूरे supply chain कंट्रोल करती है। पाकिस्तान की आर्थिकी फौज के बिना चलती ही नही।
अरे गधों इस मुगालते में क्यों बैठे हो कि पाकिस्तान की फौज भारत के खौफ पर ज़िंदा है? पाकिस्तानी फौज़ का major focus अफ़ग़ानिस्तान है। अपने पश्चिमी सूबे के तालिबानी मुल्ले है जिनको कत्ल करके हर मस्जिद में अपने मौलवी बैठाने हैं। इनके रिटायर्ड अफसर जा के सऊदी में भाड़े के फौजी बनते है और यमन में सऊदी की तरफ से युद्ध कर रहे है। इसी वजह से सऊदी पाकिस्तान पर मेहरबान है।
जब तुमको समस्या का मूल ही नही पता तो हल क्या सुझा रहे हो? पाकिस्तानी फौज ने 1980s में खड़े किए फिदायीन। अमरीका के पैसे से अफ़ग़ानिस्तान में लड़ाने को। फिर उसने सोचा कि अगर हम अफ़ग़ानिस्तान में रूस को हरा सकते हैं तो कश्मीर में इन्ही जेहादियों से हिंदुस्तान को भी हरा देंगे। लेकिन अब इस जिहादी फौज़ के अपने रुख है अपना तरीका है। वो फौज़ को तवज्जो नही देती। इमरान खान ने इन्ही जेहादियों को अपनी पार्टी में शामिल किया और फौज़ को वादा किया कि वो इनको कंट्रोल कर लेगा। फौज़ पश्चिमी छोर पर तालिबान से लड़ रही थी इसलिए पूर्वी छोर के जेहादियों से हाथ मिलाने के लिए इमरान को जिताया।
अब इस गड़बड़झाले से भारत कैसे निपटें? इसका जवाब अभी सोच रहा हूँ। आप भी सोचिये। और ये अखबार वगैरह पढ़ना बंद कर दीजिए। टॉयलेट पेपर हैं सब के सब।
धन्य हो गर्दभ बुद्धि!
अरे मूर्खों पाकिस्तान की फौज पाकिस्तान के पूरे industrial complex को कंट्रोल करती है। पूरे supply chain कंट्रोल करती है। पाकिस्तान की आर्थिकी फौज के बिना चलती ही नही।
अरे गधों इस मुगालते में क्यों बैठे हो कि पाकिस्तान की फौज भारत के खौफ पर ज़िंदा है? पाकिस्तानी फौज़ का major focus अफ़ग़ानिस्तान है। अपने पश्चिमी सूबे के तालिबानी मुल्ले है जिनको कत्ल करके हर मस्जिद में अपने मौलवी बैठाने हैं। इनके रिटायर्ड अफसर जा के सऊदी में भाड़े के फौजी बनते है और यमन में सऊदी की तरफ से युद्ध कर रहे है। इसी वजह से सऊदी पाकिस्तान पर मेहरबान है।
जब तुमको समस्या का मूल ही नही पता तो हल क्या सुझा रहे हो? पाकिस्तानी फौज ने 1980s में खड़े किए फिदायीन। अमरीका के पैसे से अफ़ग़ानिस्तान में लड़ाने को। फिर उसने सोचा कि अगर हम अफ़ग़ानिस्तान में रूस को हरा सकते हैं तो कश्मीर में इन्ही जेहादियों से हिंदुस्तान को भी हरा देंगे। लेकिन अब इस जिहादी फौज़ के अपने रुख है अपना तरीका है। वो फौज़ को तवज्जो नही देती। इमरान खान ने इन्ही जेहादियों को अपनी पार्टी में शामिल किया और फौज़ को वादा किया कि वो इनको कंट्रोल कर लेगा। फौज़ पश्चिमी छोर पर तालिबान से लड़ रही थी इसलिए पूर्वी छोर के जेहादियों से हाथ मिलाने के लिए इमरान को जिताया।
अब इस गड़बड़झाले से भारत कैसे निपटें? इसका जवाब अभी सोच रहा हूँ। आप भी सोचिये। और ये अखबार वगैरह पढ़ना बंद कर दीजिए। टॉयलेट पेपर हैं सब के सब।
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